Monday, September 15, 2008

आदरणीय ममता दीदी


आदरणीय ममता दीदी,
सादर प्रणाम, मैं कई दिनों से आपको पत्र लिखने की सोच रहा था, सोचा कि आपको बधाई दे दूं ... दीदी आप डटी रहना अपनी बात पर और हां 400 एकड़ से एक फुट भी कम ज़मीन पर समझौता नहीं करना ... फिर देखते हैं कैसे बेचता है टाटा एक लाख की नैनों... पता नहीं क्या समझता है ये टाटा अपने आप को .. आपको याद है न वो दिन जब टाटा ने प्रगति मैदान में नैनों की नुमायश लगाई थी ...पूरी दुनिया का हीरो बन गया था एक ही दिन में .... इतनी पापुलैरिटी बटोरी कि लोग तो भारत रत्न तक देने की मांग करने लगे थे ... अब बताओ ये बिजनेसमैन भी इतने पापुलर हो जायेंगे तो हमारे देश के नेता क्या करेंगे ... और हां, इतना आसान है भला पश्चिम बंगाल का औद्योगिक विकास करना ... कह रहा था कि चार हज़ार से ज्यादा लोगों को रोज़गार देंगे अपने कारखाने में .... फिर जब इतनी बड़ी फैक्ट्री लगेगी, हज़ारों लोग आयेंगे जायेंगे तब तो उस इलाके का नज़ारा ही बदल जायेगा, सैकड़ो छोटे मोटे धंधे तो वैसे ही चलने लगेंगे .... और पता है दीदी नैनो फैक्ट्री लगने से आस पास के किसानों की ज़मीनों के दाम भी चौगने होने लगे हैं ... अब आप ही बताओ ऐसे तो किसान मालदार हो जायेंगे उनकी बेगारी खत्म हो जायेगी .. तो फिर आपकी सभाओं में नारे कौन लगायेगा, कौन आपके धरना प्रदर्शन में आपके साथ आपकी बेगारी करेगा..... न दीदी न बड़ी मुश्किल हो जायेगी .... और हां सुना है विप्रो वाले भी आपके धरने से खफा होकर अपना प्रोजैक्ट पश्चिम बंगाल से हटा रहे हैं .... अरे वो ही विप्रो जो अपने आपको देश की सबसे बड़ी आईटी कम्पनी होने का दावा करते हैं .... चलो अच्छा ही हुआ, आये थे हज़ारों लोगो को नौकरियां बाटने .... वैसे भी कुछ ही महीनों में चुनाव होने हैं.... और अगर बुद्धदेव बंगाल का औद्योगिक विकास करने में सफल हो गये तो आपके सपनों का क्या होगा ... सुना है मुख्यमंत्री ने कहा है कि वो कुछ और उद्योगों को भी ज़मीन बांटेगें .... दीदी इससे अच्छा मौका और क्या होगा .. मै तो कहता हूं पूरे बंगाल को ही सिंगूर बना दो... और पूरे देश को बता दो कि किसानों का अगर कोई हिमायती है तो वो सिर्फ आप ही हैं .. अब ज़्यादा क्या लिखूं आप तो खुद ही सयानी हैं .. वैसे मै हमेशा आपके साथ ही हूं ... तो आपके राजनीतिक जीवन के लिये ढेरों शुभकामनाओं के साथ ये पत्र यहां खत्म करता हूं .. और हां अगर कुछ गलत लिख गया हूं तो छोटा भाई समझ कर माफ कर देना ...

Tuesday, September 9, 2008

खत्म हो रही है आपके सिलेंडर की मियाद... !!!!!



गैस का सिलेंडर और एक्सपायरी डेट ? ..... हमने जिससे पूछा उसने ये ही जवाब दिया ..... लेकिन ये सही है कि गैस के सिलेंडर की भी एक मियाद होती है ..... कभी चेक किया आपने, नहीं न !! .... चलिये हम बताते हैं .... सिलेंडर के ऊपर की तरफ जहां पकड़ने की जगह होती है ...... तीन पत्तियां लगी होती हैं .... तीनों में से किसी एक पत्ती पर एक कोड लिखा होता है ... जैसे ... A07, D-06 या C-10 वगैरह वगैरहा .... दरअसल ये कोड ही उस सिलेंडर की एक्सपायरी डेट होती है .... अंग्रेज़ी के शब्द A,B,C और D साल की चारो तिमाहियों को दर्शाता है जबकि उसके आगे लिखा 06, 07 वगैरह साल को दर्शाता है .... अगर किसी सिलेंडर पर A-07 लिखा है इसका मतलब है कि ये सिलेंडर साल 2007 के पहले तिमाही ... यानि जनवरी 07 से मार्च 07 के बीच एक्सपायर हो जाना चाहिये .... इसी तरह किसी सिलेंडर पर C-10 लिखे होने का मतलब है कि साल 2010 के तीसरे तिमाही यानि जुलाई 2010 से सितंबर 2010 तक ही इस सिलेंडर की मियाद है .... तो अभी आप अपनी रसोई में रखे सिलेंडर की जांच करें .... कहीं ऐसा तो नहीं कि आप जिस सिलेंडर पर खाना बना रहे हैं उसकी मियाद खत्म हो चुकी हो .... यहां हम एक बात आपको और बता दें कि देश में करोड़ों सिलेंडर ऐसे हैं जो एक्सपायर हो चुके हैं .... तो हो सकता है उनमें एक सिलेंडर आपका भी हो ..... ऐसे में आपका सावधानी से काम करना बहुत ज़रूरी है .... और अगली बार जब कभी आप गैस रिफिल करायें ... गैस के वजन और लीकेज के साथ-साथ सिलेंडर की एक्सपायरी की भी जांच ज़रूर करें ... क्योंकि सावधानी में ही समझदारी है ....

Monday, September 8, 2008

भ्रष्टाचार बनाम RTI

शाम को नीचे घूमते हुए माथुर साहब से टकरा गया ... इस मुलाकत को टकरा गया इसलिये लिखा क्योंकि आम तौर पर कोई उनसे सहज भेंट या मुलाकात के लिये तैयार नहीं होता है और जब कभी कोई उनसे टकरा जाये तो पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाता है दरअसल माथुर साहब का व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा है ... अब जब माथुर साहब मिल ही गये तो उनकी बातें भी सुननी पड़ेगी ..... मैं उनसे मुखातिब होकर कुछ बोल पाता इससे पहले वो ही बोल पड़े ॥ “गुप्ता जी, इस देश में तो दिन पे दिन रहना मुश्किल ही होता जा रहा है..मैने तो इसीलिये अपने दोनो बेटे विदेश में सैटिल कर दिये हैं, और बड़े बेटे को तो न्यूजीलैंड की नागरिकता भी मिलने वाली है ...लेकिन इस देश का तो भगवान ही मालिक है” …...मैने उन्हे बीच में ही टोक कर पूछ लिया ... “अरे हुआ क्या माथुर साहब क्यों कोस रहे हैं इस देश को”..... “होना क्या है अब आप ही बताइये, क्या कोई महकमा बचा है जहां भ्रष्टाचार अपनी जड़ें न जमा चुका हो, है कोई ऐसा काम जो घूस के बिना हो जाता हो ...... इन इमारतों को ही ले लीजिये क्या आपको नहीं लगता कि इनके बनाने में बिल्डर ने नियमों और निर्देशों की धज़्जियां उड़ाई हैं ..... बाहर की टूटी सड़क ही देखिये, और आपको क्या लगता है कि इसके बारे में जीडीए को कुछ नहीं पता होगा … सबकी मिली भगत है” ..... मुझे लगा कि माथुर साहब की बातों में कुछ तो दम है ... लेकिन इसका मतलब देश छोड़ देना तो बिल्कुल नहीं है ... मात्र व्यवस्था को कोसते रहने से कुछ नहीं होगा ... व्यवस्था को बदलने की ज़रूरत है ... ठीक है कि भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं लेकिन उससे लड़ने के रास्ते खत्म हो गयें हों ऐसा बिल्कुल नहीं ... ज़रूरत जागरूकता बढ़ाने की है ... मैने माथुर साहब से पूछा, क्या आरटीआई (RTI) के बारे सुना है आपने .. बोले हां सुना तो है लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं जानता इसके बारे में ... मुझे उनसे इसी तरह के उत्तर की अपेक्षा थी ... दरअसल हर छोटे बड़े काम को सुविधा शुल्क के नाम पर घूस देकर करा लेने वाले हम और आप ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं ... क्योकि हमें शार्ट कट की आदत पड़ गयी है... थोड़ा बहुत सुविधा शुल्क लगने के बाद अगर काम आसानी से हो जाए तो इसमें हम कोई बुराई नहीं समझते ... लेकिन भ्रष्टाचार के नाम पर देश और व्यवस्था को कोसने का भी कोई मौका हम नहीं चूकते ...
खैर मुझे भी आज मौका मिल गया था माथुर साहब को पकाने का, विस्तार से RTI के बारे में बताने लगा ... दरअसल मै उन्हे बताना चाहता था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में RTI यानि सूचना का अधिकार आम आदमी के हाथ में एक बड़े हथियार की तरह है और शायद इसीलिये लागू होने के तीन साल से भी कम समय में इसने ख़ासी सफलता अर्जित की है ... हालत ये है कि आज RTI के नाम पर नौकरशाह एक अजीब से दवाब में आ जाते हैं ... CIC के पास इतनी शिकायतें जाने लगी हैं कि उसके सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर विचार हो रहा है... सरकारी महकमों में RTI नाम का एक अजीब सा डर व्याप्त है.... लोग ग़लत काम करने से पहले डरते हैं कि कहीं किसी ने इसकी सूचना मांग ली तो पूरी पोल खुल जायेगी....
दरअसल सूचना का अधिकार वो अधिकार है जिसके अंतर्गत आप किसी भी सरकारी महकमें से तमाम तरह के सवाल पूंछ सकते हैं ....तमाम तरह की जानकारियां हासिल कर सकते हैं और अगर कहीं भ्रष्टाचार का सामना करना पड़े तो इन जानकारियों को उसके खिलाफ पुख्ता सबूत के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं ... मैने देखा माथुर साहब बड़े ही ध्यान से मुझे सुन रहे थे ... बीच बीच में वो मुझसे कुछ सवाल भी करते जाते जिनके जवाब देकर मै उन्हे संतुष्ट भी कर रहा था .... उत्साह और हैरत से लबरेज माथुर साहब बोले ...“वाह गुप्ता जी ये तो किसी जादू की छड़ी से कम नहीं है”.... मैने मुस्करा कर कहा .... बिल्कुल ठीक माथुर साहब, और हां, RTI के अंतर्गत कोई जानकारी हासिल करना भी बेहद आसान है ...बस एक सादे पन्ने पर एप्लीकेशन लिखो, क्या जानकारी चाहते हो उसे बिन्दुवार प्रश्नो के रूप में इस एप्लीकेशन पर लिख दो ... और 10 रुपये की मामूली सी फीस के साथ संबन्धित विभाग के जन सूचना अधिकारी के पास जमा करा दो .... बस 30 दिन के भीतर आपको मांगी गयीं सूचनाएं मिल जाएंगी ... माथुर साहब काफी खुश थे ... राहत के भाव जो उनके चेहरे पर नज़र आ रहे थे उससे साफ था कि कम से कम एक बार ज़रूर वो RTI का इस्तेमाल करेंगे .. और मै भी संतुष्ट था क्योंकि माथुर साहब जो किसी के सामने चुप नहीं होते आज मैने उन्हे सुनने पर मजबूर कर दिया था ...